'शीला की जवानी' गीत का भावार्थ- एक महान शोध विचारक की हृदय-उद्वेलित व्याख्या !!!
प्रस्तुत उत्तेजक गीत हिन्दी फिल्म जगत के नवीनतम रत्न 'तीस मार खान' से लिया गया है. यह गाना नायिका के संगमरमर जैसे शरीर से आकर्षित होने वाले लंगोट के ढीले पुरुषों पर नायिका की अपमानजनक प्रतिक्रया को व्यक्त करता है. नायिका उन्हें सीधे और कटु शब्दों में बताना चाहती है कि शीशे के पीछे रसगुल्ले की ख्वाहिश करना एक बात है और उसे चखना दूसरी बात!
I know you want it
But you never gonna get it
Tere haath kabhi na aani
Maane na maane koi duniya
Yeh saari, mere ishq ki hai deewani
गीत का आरंभ में नायिका के सत्य निष्ठ एवम ईमानदारीपूर्ण वक्तव्य से होती है. वो जानती है कि इन पुरूषों को उसकी भावनाओं, हृदय एवं प्रेम से कोई सरोकार नहीं. वो तो केवल एक ही वस्तु चाहते हैं. पर वो उन्हें मिलने वाली नहीं. उन्हें मुंह में भर आये पानी से ही अपनी प्यास बुझानी होगी. दुर्भाग्यपूर्ण, परन्तु सत्य !!!!.
Hey hey, I know you want it
but you never gonna get it
Tere haath kabhi na aani
Maane na maane koi duniya
yeh saari Mere ishq ki hai deewani
Ab dil karta hai haule haule se
Main toh khud ko gale lagaun
Kisi aur ki mujhko zaroorat kya
Main toh khud se pyaar jataun
नायिका पुनः दर्जनों पुरुषों में उसके प्रति जागृत वासना पर प्रकाश डालती है. वस्तुतः वह अपने आस-पास मंडराते छिछोरों को सूचित करती है कि उनकी दाल नहीं गलने वाली! परन्तु साथ ही यहाँ नायिका के व्यक्तित्व का एक और पक्ष उजागर होता है. सौंदर्य से जागृत अहंकार का पक्ष!. वो अपनी सुन्दरता से इतनी प्रभावित है कि उसे किसी पुरुष की आवेश्यकता नहीं. वह अपने अन्दर की स्त्री के लिए स्वयं ही पुरुष बन जाना चाहती है. अब इसे अहंकार की पराकाष्ठा कहें या आत्म-प्रेम की मादकता!!!
what's my name
what's my name
what's my name
My name is Sheela
Sheela ki jawani
I'm just sexy for you
Main tere haath na aani
Na na na sheela
Sheela ki jawani
I'm just sexy for you
Main tere haath na aani
अब नायिका स्वयं का परिचय देती है. अपना नाम बताती है. और नाम भी ऐसा जो बूढ़ी नसों के लिए वायाग्रा का स्राव करे. उनमें यौवन का झंझावात एवं ज्वार ला दे. नाम बताने के साथ वो यह भी बताती है कि वो बहुत ही अधिक मादक एवं सेक्सी है. वात्सल्य एवं मादकता पर उसका अपने मुंह मियाँ मिट्ठू बनना एवमं कोरे गर्व से अभिभूत होना कितना न्यायोचित है??. इस आत्म-प्रशंसा में भी अहंकार की गंध है. वह स्वयं को को इतना अधिक मादक वर्णित करती है कि वह सबकी पहुँच से बाहर है. एक ऐसे चन्द्रमा की तरह है जिसकी चांदनी तो सर्व उपलब्ध है, पर उस चन्द्रमा को स्पर्शमात्र भी असंभव है तथा उसे अनूभव एवं महसूस करना किसी के बस की नहीं. स्पष्तः, यहाँ यह परि लक्छित होता है है कि नायिका सौंदर्य की साधक ही नहीं, बल्कि अहंकार से भरी चुड़ैल भी है.
Take it on
Take it on
Take it on
Take it on
अब नायिका सीधे शब्दों में चुनौती देती है. एक ऐसी चुनौती जो संभवतः मर्दों में बिना मदिरा के भी पोरूष बल तथा परम साहस ला दे.
Silly silly silly silly boys
O o o you're so silly
Mujhe bolo bolo karte hain
O o oHaan jab unki taraf dekhun,
baatein haule haule karte hain
Hai magar, beasar mujh par har paintra
अब नायिका उनका उपहास करती है. उन्हें मूर्ख कहकर सम्भोधित करती है. उन्हें ज़लील करती है. वो मर्द नायिका के बारे में गुप-चुप बातें कर सकते हैं, पर उसके सामने जुबां नहीं खोल पाते. वासना और कायरता का ये अद्भुत संगम है.
Haye re aise tarse humko
Ho gaye sober se re
Sookhey dil pe megapan ke
teri nazariya barse re
I know you want it
but you never gonna get it
Tere haath kabhi na aani
SheelaSheela ki jawani
I'm just sexy for you
Main tere haath na aani
Na na na sheela
Sheela ki jawani
I'm just sexy for you
Main tere haath na aani
यहाँ अंततः वासना से मदहोश पुरुष कुछ बोलने की दुस- साहस जुटाते हैं. वह धीमे स्वर में अपनी इच्छा की अभिव्यक्ति करते हैं. वह बोलते हैं कि नायिका का फिसलती हुई मादक काया , उनके बंजर दिलों में प्रेम का अंकुर ला रहा है. मानो नायिका को उनकी असली इच्छा का पता ही नहीं. इसलिए वह उन्हें पुनः स्मारित करती है कि दिन में स्वप्नदर्शन छोड़ दें.
यह तथाकथित मादक एवं ख़ूबसूरत गीत आज ही नहीं, चिर काल से चली आ रही नर और नारी की कोरी मानसिकता को उजागर करता है. नारी हज़ारों घंटे श्रृंगार और व्यायाम में बिताकर इस लायक दिखती है कि पुरुष उस पर गिद्ध जैसी द्र्ष्टि डालें. परन्तु जब वो नज़रें डालते हैं तो नायिका उन्हें चूजा सिद्ध कर देती है. नर भी कम कुटिल नहीं!! अपितु वह नारी के शारीरिक आकर्षण के सामने स्वयं का आपा खो बैठते हैं. फलतः ,जब उद्द्वेलित वासना, शिखर पर होती है तो सहसा अप्रत्याशित रूप से ... साहस लुकाछिपी का खेल खेल रहा होता है!!! उपरोक्त के दृष्टिगत ऐसे में इस परकार के विशिष्ट महा मिलन हो भी तो कैसे हो?प्रश्न जटिल है!
इसी प्रश्न के साथ यह गीत श्रोताओं और दर्शकों (आम भाषा में छिछोरों )के मन में एक कसक/कुंठा छोड़ जाता है.
जिसका निराकरण उपरोक्त के द्रष्टिगत निकट भविष्य में संभव प्रतीत नहीं होना परि लक्छित है !!
अंततः हम सभी शोध कर्ता, सम्यक चर्चित विषय तथा छिछोरों के समस्याओं पर सम्यक वर्णित एवं विशिष्ट बुद्धिमत्ता पूर्वक, अति विचारणीय व्याख्या पर उस महान शोधार्थी को शत - शत नमन करते हैं ! !
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